✊ “नव अगस्त को बदनाम मत करो रे!”
(विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष संदेश)
नव अगस्त की…
परंपरा को तुमने खुद ही मिटा डाली,
जिस दिन को पहचान बनाना था,
उसे नाच-गानों और हुड़दंग से
तुमने मज़ाक बना डाली…!
नव अगस्त की…
वह गरिमा अब डर में बदल गई,
जहां दुकानों पर ताले लगते हैं,
और लोग कहते हैं —
“आज तो बाहर मत निकलो, नव अगस्त है…!”
नव अगस्त को…
जब हमें अपने गौरव को दिखाना था,
तब हम खुद ही अपने समाज को बदनाम कर देते हैं,
नशे में डूबकर, झगड़े करके
हम अपनी ही जड़ों को काट देते हैं…!
नव अगस्त को…
गांव बंद रहता है,
धमकियों का माहौल होता है,
उत्सव नहीं,
एक भय का दिन बन जाता है…!
नव अगस्त को…
लोग हमारी युवा पीढ़ी पर हँसते हैं,
कहते हैं – “इनसे क्या उम्मीद रखना?”
क्योंकि हमारी फटफटियाँ
हवा में उड़ती हैं,
पर हमारा चरित्र धूल में गिरता है…!
🙏 नव अगस्त को बदनाम मत करो रे..!
ये दिन हमारी पहचान का है,
हमारी संस्कृति और सभ्यता का है…
इस दिन को गर्व से मनाओ, ना कि शर्म से छुपाओ…!
📢 अब बदलाव की जरूरत है…
- 🥁 ढोल नहीं, दिशा बजाओ — आदिवासी संस्कृति की बात फैलाओ।
- 📚 शराब नहीं, शिक्षा बांटो — भविष्य की नींव मजबूत बनाओ।
- 🕊️ विवाद नहीं, विचार दो — एकता का संदेश फैलाओ।
- 🌿 गर्व से कहो — “हम आदिवासी हैं” और हम बदलाव के वाहक हैं।
✍️ नव अगस्त को…
वचन दो — यह दिन केवल नाचने का नहीं,
बल्कि समझदारी से समाज बदलने का दिन होगा!