— आदि. कांतीलाल पाडवी
आदिवासी समाज की संस्कृति खतरे में है – कौन जिम्मेदार?
डेविल रायडर्स और अन्य ग्रुप
कुछ अलग करने की होड़ में आज का युवा धीरे-धीरे डेविल (शैतान) बनता जा रहा है। “हम उस अमुक ग्रुप से अलग हैं… विशेष हैं…” यह साबित करने की बचकानी ज़िद…
इस डेविल विचारधारा पर सवार बेवकूफों के ग्रुप बनते दिख रहे हैं, जिनका कोई रचनात्मक उद्देश्य नहीं है।
शादियों में ये ग्रुप आमने-सामने आते हैं और दहशत का माहौल बनाते हैं। महंगी गाड़ियों में, राजसी ठाठ से ये आते हैं और हेयरस्टाइल व राजमुकुट से सजे होते हैं।
ग्रुप लीडर वटवृक्ष की तरह खड़ा होकर मैसेज भेजता है और बिना उद्देश्य वाली टोली एकत्रित हो जाती है।
फिर ये षड्यंत्र रचते हैं, मंडप की ओर बढ़ते हैं, घूरती नजरों से विरोधियों को देखते हैं और लीडर के इशारे पर बैंड पर डांस शुरू होता है।
थोड़ी सी टक्कर और फिर चिंगारी भड़कती है। हथियार निकलते हैं, गालियाँ, झगड़ा, और शादी की शांति भंग हो जाती है।
गाँव के सरपंच, पाटील बीच-बचाव करते हैं, लेकिन तब तक खाना बर्बाद, मेहमान चले जाते हैं और शादी का माहौल बिगड़ जाता है।
यह सिलसिला रोज़ चल रहा है। रातभर भटकने के बाद, दिन में आराम, फिर घटना की रिपोर्टिंग और अगले इवेंट की प्लानिंग।
समाज पर असर
बिना संस्कार की पीढ़ी समाज के लिए खतरनाक है। अश्लील नृत्य, गंदे इशारे और हिंसा आदिवासी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।
समाज को प्रगति की ओर ले जाने के बजाय यह प्रवृत्ति उसे अंधकार की ओर धकेल रही है।
लेकिन उम्मीद है — जैसे पावरा समाज ने शादी में बैंड बंद करने का निर्णय लिया, वैसे ही और समाजों को भी आगे आना चाहिए।
समाधान और मार्गदर्शन
इससे समाज की आर्थिक बचत होगी, युवा संस्कृति से जुड़ेंगे, और गर्व से अपने आदिवासी अस्तित्व को पहचानेंगे।
जैसे संस्कार देंगे, वैसी पीढ़ी तैयार होगी।
जैसा संत कबीर कहते हैं:
“बोए पेड़ बबूल का, तो आम कहाँ से पाए?”
तो दोस्तों… क्या आप चाहते हैं शैतानी पीढ़ी?
या संस्कारों से समृद्ध जिम्मेदार पीढ़ी?
निर्णय आपका है।
जय आदिवासी… जय जोहार।
— आदि. कांतीलाल पाडवी