भगोरिया हाट: एक समृद्ध आदिवासी परंपरा, न कि ‘आदिवासी वैलेंटाइन डे’
भगोरिया हाट क्या है?
भगोरिया हाट मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में भील, भिलाला, पटिया और बारेला समुदायों का एक महत्वपूर्ण आयोजन है। यह कोई त्यौहार नहीं, बल्कि एक फसली उत्सव और बाजार है, जो फसल कटने के बाद लगता है। इस दौरान आदिवासी लोग आपस में मिलते हैं, खबरों का आदान-प्रदान करते हैं, और होली की तैयारियाँ करते हैं।
भगोरिया को लेकर फैली गलतफहमियाँ
कई लोग इसे ‘आदिवासी वैलेंटाइन डे’ या ‘भागकर शादी करने का मेला’ कहते हैं, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। भगोरिया हाट का उद्देश्य सामाजिक मेल-जोल, खरीदारी और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखना है। आदिवासी समाज में शादी के लिए सख्त नियम होते हैं, और गोत्र तथा परिवार की परंपराओं का पालन किया जाता है।
भगोरिया हाट में क्या होता है?
- लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं।
- पूजा सामग्री (नारियल, गुलाल, गुड़, कंगन, खजूर) खरीदी जाती है।
- ढोल-मांदल की धुन पर पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं।
- दूर-दराज के रिश्तेदार और दोस्त मिलते हैं।
- आने वाली होली की तैयारियाँ होती हैं।
गलत प्रचार और शोषण का खतरा
- ⚠️ मीडिया और बाहरी लोगों द्वारा भगोरिया हाट को प्रेम और शादी से जोड़कर प्रचारित किया जाता है।
- ⚠️ इस गलत छवि के कारण बाहरी लोगों का दखल बढ़ गया है, जिससे छेड़छाड़, शोषण और लड़कियों के लापता होने की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- ⚠️ कुछ लोग इसे राजनीतिक रैलियों और प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे आदिवासी समाज में विभाजन हो रहा है।
- ⚠️ नकली खाद्य पदार्थ और मिलावटी शराब जैसी चीजें बेचकर स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
हमारी जिम्मेदारी
- ✔️ भगोरिया हाट की सच्ची पहचान को फैलाएँ।
- ✔️ मीडिया और बाहरी लोगों द्वारा फैलाई गई गलत बातों को चुनौती दें।
- ✔️ आदिवासी संस्कृति का सम्मान करें और इसे बचाने के लिए एकजुट हों।
- ✔️ बाहरी लोग अगर भगोरिया हाट में आते हैं तो संस्कृति का सम्मान करें, अनुमति लेकर फोटो लें, और स्थानीय लोगों से ही खरीदारी करें।