Dang Tribal Kings Who Defeated British| डांग जिले के 5 आदिवासी राजा जिन्होंने अंग्रेजों को हराया

Dang Tribal Kings Who Defeated British| डांग जिले के 5 आदिवासी राजा जिन्होंने अंग्रेजों को हराया




डांग जिले के 5 आदिवासी राजा जिन्होंने अंग्रेजों को हराया | Dang Tribal Kings

डांग जिले के 5 आदिवासी राजा जिन्होंने अंग्रेजों को हराया

डांग जिला (गुजरात) का इतिहास वीर आदिवासी योद्धाओं से भरा पड़ा है। जब अंग्रेजों ने पूरे भारत पर अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश की, तब डांग के इन 5 बहादुर राजाओं ने उनका डटकर मुकाबला किया।

1. राजा गुमानसिंह (Raja Gumansingh Naik)

  • डांग के सबसे प्रभावशाली आदिवासी राजा थे।
  • गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाकर अंग्रेजों को हारने पर मजबूर किया।
  • उनकी वीरता के कारण अंग्रेज डांग क्षेत्र में पूरी तरह प्रवेश नहीं कर सके।

2. राजा भीमसिंह (Raja Bheemsingh Naik)

  • घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण योद्धा।
  • अंग्रेजों की सप्लाई लाइन बाधित कर कई बार उन्हें हराया।
  • उनकी युद्ध नीति के कारण अंग्रेजों को भारी नुकसान हुआ।

3. राजा सोमजी नायक (Raja Somji Naik)

  • गुरिल्ला युद्ध में माहिर, जंगलों में रहकर अंग्रेजों से लड़े।
  • अपने आदिवासी समुदाय को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
  • कई बार अंग्रेजी सैनिकों पर हमले कर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर किया।

4. राजा गोविंदसिंह (Raja Govindsingh Naik)

  • उन्होंने आदिवासी सरदारों को संगठित कर अंग्रेजों से लोहा लिया।
  • उनकी सेना ने अंग्रेजों को करारी हार दी और उनकी रणनीतियों को विफल किया।
  • उन्होंने अंग्रेजों के साथ कोई संधि नहीं की और अंतिम सांस तक लड़े।

5. राजा रूपसिंह (Raja Roopsingh Naik)

  • एक निडर योद्धा, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया।
  • अंग्रेजों के खिलाफ कई युद्ध लड़े और उन्हें डांग में घुसने से रोका।
  • उनकी वीरता आज भी आदिवासी लोकगाथाओं में गूंजती है।

डांग के राजाओं और अंग्रेजों के बीच संघर्ष

  • 1842 में, अंग्रेजों ने डांग पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन इन राजाओं की बहादुरी के कारण वे सफल नहीं हो सके।
  • डांग के राजाओं ने एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अंततः अंग्रेजों को एक संधि करने पर मजबूर किया।
  • संधि के अनुसार, अंग्रेजों को हर साल डांग के राजाओं को कर देना पड़ता था, जिससे साबित हुआ कि वे पूरी तरह पराजित नहीं हुए थे।

निष्कर्ष

डांग के ये 5 वीर आदिवासी राजा केवल योद्धा ही नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और स्वाभिमान के प्रतीक थे। उनकी बहादुरी की कहानियां आज भी आदिवासी समाज में गर्व से सुनाई जाती हैं।

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